The Diary of a Young Girl (Hindi)

· Manjul Publishing
4.5
134 reviews
Ebook
480
Pages

About this ebook

 विश्व की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में से एक
यह उस युवती का मर्मस्पर्शी दस्तावेज़ है जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक यहूदी होने के नाते नाज़ी अत्याचारों की शिकार बनी. ऐन फ्रैंक का परिवार 1942 से 1944 के दरमियान एक ईमारत में स्तिथ किताबों की अलमारी के पीछे बने कुछ गुप्त कमरों में छिप कर रहा.
ऐन के तेरहवें जन्मदिन पर तोहफ़े के रूप में एक नई डायरी भेंट की गई, जिसमें वह अपने जीवन के आख़िरी दिनों तक अपनी यादें दर्ज़ करती रही. ऐन की मृत्यु 15 वर्ष की उम्र में नाज़ी कॉनसन्ट्रेशन कैम्प के टाइफस नाम की बीमारी से हुई. युद्ध समाप्त होने के पश्चात् ऐन के पिता के प्रयासों के फलस्वरूप 1947 में इस डायरी का प्रकाशन इस पुस्तक के रूप में किया गया.
युद्ध की भयावहता को दर्शाती यह पुस्तक मानवीय भावनाओं का एक आश्चर्यजनक व् दिलचस्प वृत्तांत है, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के बचे हुए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक मन जाता है. मूलतः डच भाषा में लिखी गई इस पुस्तक का 60 से अधिक भाषाओँ में अनुवाद किया जा चूका है.

"इतिहास में जितने भी लोगों ने घोर विपदा और पीड़ा के दौर में मानव गरिमा की बात की है, उनमें ऐन फ्रैंक की आवाज़ सबसे आगे है.
- जॉन एफ़.केनेडी

Ratings and reviews

4.5
134 reviews
Amit Kumar
July 24, 2022
बहुत अच्छा हिंदी अनुवाद है। जो पाठक की पढ़ने में रुचि बनाये रखता है। बोर नही करता।
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Akshat Jain
September 24, 2019
मैंने इस इनकी डायरी को बहुत बार पढ़ा है और मैं जब भी पड़ता हु मेरे आँखों मे से आँसू आजाते है।।।।
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Amit Srivastava
December 24, 2018
मैं रो रहा हूं
24 people found this review helpful
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About the author

 ऐन फ्रैंक एक जर्मनी में जन्मी लेखिका थी जो होलोकॉस्ट (प्रलय) की सबसे अधिक चर्चित पीड़ितों में से एक भी थी. ऐन फ्रैंक ने मरणोपरांत उसकी डायरी के प्रकाशन से प्रसिद्धि प्राप्त की. 'डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल' उसके जीवन 1942 से 1944 के बारे में है जो उसने और उसके परिवार ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नीदरलैंड में छिप के बिताया ।

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