विपुल लाभ का रहस्य (Hindi Sahitya): Vipul Labh Ka Rahasya (Hindi Self-help)

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· Bhartiya Sahitya Inc.
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आज जो समाज की बीमार मानसिकता तथा शासन में व्याप्त अनुशासनहीनता के कारण आपके सामने विभिन्न समस्यायें हैं, उनका व्यक्तिगत आधार पर कोई उत्तर नहीं है। यह एक बिडंबना है कि जहाँ दूसरे सभी देशों में जनता अनुशासनहीन होती है जिसके कारण समस्यायें उत्पन्न होती हैं, और वहाँ की सरकार इस की शिकायत करती हैं। लेकिन हमारे देश में तो लगता है कि राज्य कर्मचारी ही अनुशासनहीन हैं। वे भ्रष्ट हैं, अयोग्य हैं, उनमें नैतिकता का अभाव है। उनमें दूरदर्शिता नहीं है, जिसके कारण इतनी समस्यायें खड़ी हो गई हो जहाँ पर भी मैं जाता हूँ शिकायतों की भरमार मिलती है। उनका हल ढूंढा जा सकता है, और बह हल आप द्वारा ही ढूँढा जाना है।

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GURUVRUNDA SPHS
January 20, 2015
Exquisite
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About the author

स्वामी चिन्मयानन्द

( 8 मई 1916 - 3 अगस्त 1993 )

हिन्दू धर्म और संस्कृति के मूलभूत सिद्धान्त वेदान्त दर्शन के एक महान प्रवक्ता थे। उन्होंने सारे भारत में भ्रमण करते हुए देखा कि देश में धर्म संबंधी अनेक भ्रांतियां फैली हैं। उनका निवारण कर शुद्ध धर्म की स्थापना करने के लिए उन्होंने गीता ज्ञान-यज्ञ प्रारम्भ किया और 1953 ई में चिन्मय मिशन की स्थापना की।

स्वामी जी के प्रवचन बड़े ही तर्कसंगत और प्रेरणादायी होते थे। उनको सुनने के लिए हजारों लोग आने लगे। उन्होंने सैकड़ों संन्यासी और ब्रह्मचारी प्रशिक्षित किये। हजारों स्वाध्याय मंडल स्थापित किये। बहुत से सामाजिक सेवा के कार्य प्रारम्भ किये, जैसे विद्यालय, अस्पताल आदि। स्वामी जी ने उपनिषद्, गीता और आदि शंकराचार्य के 35 से अधिक ग्रंथों पर व्याख्यायें लिखीं। गीता पर लिखा उनका भाष्य सर्वोत्तम माना जाता है।

 

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