Anand Varsha (आनंद वर्षा: शान्ति और आनंद का मूल मंत्र)

· Maya Global Education Society, Mumbai
4.0
6 reviews
Ebook
167
Pages

About this ebook

यह पुस्तक मेरे पूज्य पिता जी, स्वर्गीय इंजीनियर बीएनपी द्विवेदी जी द्वारा संकलित और लिखी गयी है , पिता जी ने इस पुस्तक के मौलिक लेखक होने का दावा नहीं किया, क्योंकि इसे उन्होंने १५ से २० सालों तक विभिन्न अखबारों जैसे की अमर उजाला, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान के सम्पादकीय पढ़कर तथा ओशो, गाँधी, बुद्ध तथा अन्य विचारकों की पुस्तकें पढ़ कर गढ़ा है। 73 वर्षों की संघर्ष भरी जिंदगी का अनुभव और सैकड़ों संपादकों और विचारकों के अनुभवों को संकलित करती हुई यह पुस्तक अपने आप में एक काव्य।

जिस तरह जंगल का सौंदर्य उसके बिखराव तथा विविधता में है ना की व्यवस्था में, वैसा बिखराव तथा विविधता का सौंदर्य इस पुस्तक में मिलेगा। इस पुस्तक का कोई आरंभ या अंत नहीं मिलेगा, यह पुस्तक रोज खुशबू बदलने वाले इत्र की तरह है। यह पुस्तक कभी ना खत्म होने वाली गाथा है। यह हर रोज पाठक को चिंतन और मनन के लिए पर्याप्त सामग्री प्रदान करेगी। इस पुस्तक को आप किसी भी पृष्ठ से पढ़ना प्रारंभ कर सकते हैं, आपको कभी भी सातत्य की कमी का एहसास नहीं होगा।

महत्वपूर्ण अंश

●  जो भी आदमी सृजन कर सकता है, शैतान नहीं हो सकता और जो भी आदमी सृजन नहीं कर सकता, लाख अपने को समझाये कि संत है, वह संत नहीं हो सकता, अगर तुम बनने में नहीं लग सके तो मिटने में लगोगे।

●  अज्ञानी होना उतने शर्म की बात नहीं है, जितना काम करने की इच्छा का न होना होता है। जो काम को बोझ समझते हैं, वे अनिच्छा से ही काम करते हैं। ओशो कहते हैं ईश्वर कोई वस्तु नहीं, एक कृति है, और वह उसे ही प्राप्त होते हैं जो इस कृति की सृष्टि करता है।

●  क्रोध जीवों में प्रकृति का आत्मरक्षा के लिए दिया हुआ हथियार है। जब तक यह नैसर्गिक है, तब तक समस्या नहीं है। जब दबाया जाता है, तब रोग बनता है। दमित क्रोध शरीर के अन्दर घाव बनाता है।

●  पूरी रामायण हमारे भीतर घटित हो रही है। राम आत्मा है, लक्षमण सजगता है। सीता मन है, और रावण अहंकार। सीता सुनहरे हिरण में आसक्त हो गई, मन का स्वभाव डगमगाना है, जिस प्रकार पानी का स्वभाव बहना है। हमारा मन वस्तुओं, विषयों के प्रति आसक्त होकर उसकी तरफ बढ़ने लगता है, उसका अहंकार द्वारा अपहरण हो जाता है, और आत्मा से अलग हो जाता है। हनुमान को पवनपुत्र कहा जाता है। हनुमान की मदद से राम को सीता मिल जाती है। यानी सांस और सजगता के साथ (हनुमान व लक्षमण) मन सीता और आत्मा (राम) का मिलन होता है।●  दार्शनिक सिसरों तो यहाँ तक कहते हैं, कि जहाँ जिन्दगी है वहाँ उम्मीद है और अगर आप उम्मीद नहीं रखते हो, तो इस जीवन का क्या अर्थ?

इस पुस्तक में यदि कहीं व्याकरण और मात्राओं की त्रुटि मिले तो उसका जिम्मेदार मैं हूं ना की पिताजी क्योंकि इस पुस्तक को वर्तमान स्वरूप में संपादित मैंने ही किया है।


Ratings and reviews

4.0
6 reviews
SATYABRATDWIVEDI
July 25, 2023
Book is the guide of life ie problem solving guide to clear critical stage of hurdles.
Did you find this helpful?
krishna kumar maurya
July 28, 2023
aatmiya wonderful
Did you find this helpful?
Shiv Pal
July 28, 2023
😍😍😍🇮🇳🇮🇳🙏🙏nic
Did you find this helpful?

About the author

डॉ प्रिय द्विवेदी (पीएचडी)

असिस्टेंट प्रोफेसर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ओमान 



Rate this ebook

Tell us what you think.

Reading information

Smartphones and tablets
Install the Google Play Books app for Android and iPad/iPhone. It syncs automatically with your account and allows you to read online or offline wherever you are.
Laptops and computers
You can listen to audiobooks purchased on Google Play using your computer's web browser.
eReaders and other devices
To read on e-ink devices like Kobo eReaders, you'll need to download a file and transfer it to your device. Follow the detailed Help Center instructions to transfer the files to supported eReaders.