जीवन की, जिन्दगी की, इंसानियत की, अनेकों विविध आयामों की सतरंगी आभा को उकेरती, नदी की अजस्त्र धारा की तरह कहीं अवरुद्ध, कहीं तरंगायित तो कहीं भयावह उद्दामता की कही, अनकही बाहरी-भीतरी परतों को उकेरता यह उपन्यास सच में ही पाठक को दूर तक और देर तक अपने साथ बनाये रखने की क्षमता रखता हैं। विमल मित्र के इस उपन्यास ‘नायिका’ के जटिल कथा-सूत्र को बढ़ाने का ढंग अनूठा और पाठक को इस उपन्यास के प्रत्येक पृष्ठ की प्रत्येक पंक्ति में किसी सम्मोहन के स्वरूप जकड़े रहेगा। विमल मित्र के कृतित्व में पाठक को भावुकता का कम, संवेदनशीलता का अधिक समावेश मिलता है, और साथ ही मिलता है एक मोहक घटना प्रवाह जो कहीं भी अयथार्थ की झलक नहीं देता।